नल (nala) - Meaning in English
नल - Meaning in English
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Definitions and Meaning of नल in Hindi
नल NOUN
- नरकट ।
- पद्म । कमल ।
- निषध । देश के चंद्रवंशी राजा वीरसेन के पुत्र का नाम । विशेष—ये बहुत सुंदर और बडे़ गुणवान थे और विशेषतः घोड़ों आदि की परिक्षा और संचालन में बडे़ दक्ष थे । ये विदर्भ देश के तत्कालिन राजा भीम की कन्या दमयंती के रूप और गुणों की प्रशंसा सुनकर ही उसपर आसक्त हो गए थे । एक दिन जब ये बाग में दमयंती की चिंता में बैठे हुए थे तब कहीं से कुछ हंस उड़ते हुए आकर इनके सामने बैठ गए । नलने उनमें से एक हंस को पकड लिया । उस हंस ने कहा— महाराज, आप मुझे छोड़ दें, मैं विदर्भ देश में जाकर दमंयती के सामने आपके रूप और गुण की प्रशंसा करूँगा । इनके छोड़ देने पर हंस विदर्भ देश में गया और वहाँ दमयती के बाग में जाकर इसने उसके सामने नल के रूप और गुण की खूब प्रशंसा की, जिसे सुनकर नल के प्रति उसका पहला अनुराग और भी बढ़ गया और उसने हंस से कह दिया कि मैं नल के साथ ही विवाह करूँगी, तुम यह बात जाकर उनसे कह देना । हंस ने वैसा ही किया । जब राजा भीम ने दमयंती का स्वयंवर रचा तब उसमें बहुत से राजाओं के अतिरिक्त अनेक देवता भी आए थे । जब इंद्र, यम, आग्नि और वरुण स्वयंवर में जा रहे थे तब उन्हें मार्ग में नल भी जाते हुए मिले । इन चारों देवताओं ने नल को आज्ञा दी कि तुम जाकर दमयंती से कहो कि हमलोग भी आ रहे हैं, हममें से ही किसी को तुम वरण करना । नल ने जब दमयंती से जाकर यह बात कही तब उसने कहा कि मैं तो तुम्हें ही पति बनाने की प्रतिज्ञा कर चुकी हूँ, यही बात देवताओं से तुम कह देना । नल ने उसे देवताओं की ओर से बहुत समझाया पर दमयंती ने नहीं माना और कहा कि देवता धर्म के रक्षक होते हैं उन्हें मेरे धर्म की रक्षा करनी चाहिए । नल ने ये सब बातें देवताओं से कह दीं । इसपर वे चारों देवता नल का रूप धरकर स्वयंवर में पहुँचे और नल के समीप ही बैठे । दमयंती पहले तो नल के समान पाँच मनुष्यों को देखकर घबराई, पर पीछे से उसने असली नल को पहचानकर उन्हीं के गले में जयमाला पहनाई । इस पर चारों देवताओं मे प्रसन्न होकर नल को आठ वर दिए । दमयंती के साथ नल का विवाह तो हो गया पर कलियुग और द्वापर ने असंतुष्ट होकर नल को कष्ट पहुँचाना चाहा । कलियुग सदा नल के शरीर में प्रवेश करने का अवसर ढूँढा़ करता था । पर बारह वर्ष तक उसे अवसर ही न मिला । इस बीच में नल को इंद्रसेन नामक एक पुत्र और इंद्रसेना नामक एक कन्या भी हुई । एक दिन अवसर पाकर कलि ने स्वय तो नल के शरीर में प्रवेश किया और उधर उनके भाई पुष्कर को उनके साथ जूआ खेलकर निषध जीत लेने के लिये उभाडा़ । तद- नुसार जूए में नल अपना सर्वस्व हार गए । पुष्कर ने आज्ञा दे दी कि नल या उनके परिवार के लोगों को कोई आश्रय या भोजन आदि न दे । दमयंती ने अपने पुत्र और कन्या को पिता के घर भेज दिया । जब तीन दिन तक नल दमयंती को अन्न भी न मिला तब वे दोनों जंगल में निकल गए । वहाँ वंपति को बडे़ बडे़ कष्ट मिले । एक दिन नल ने सोने के रंग के कुछ पक्षी देखे और उन्हें पकड़ने के लिये उनपर अपना कपडा़ डाला । पर ये पक्षी उनका कपडा़ लेकर ही उड़ गए । बहुत दुःखी होकर नल ने दमयंती से विदर्भ जाने के लिये कहा, पर उसने नहीं माना । उस समय उन दोनों के पास एक ही वस्त्र बच गया था । उसी को पहनकर दोनों चलने लगे । एक स्थान पर दमयंती थककर जब सो गई तब नल उसका आधा वस्त्र फाड़कर और उसे उसी दशा में छोड़कर चले गए । जब दमयंती सोकर उठी तब बहुत विलाप करती हुई अपने पति को ढूँढती ढूँढती और अनेक प्रकार के कष्ट उठाती अपने पिता के घर पहुँची । उधर नल भी अनेक कष्ट भोगते हुए अयोध्या पहुँचे और राजा ऋतुपर्ण के यहाँ सारथि हुए । बहुत पता लगाने पर दमयंती को सूत्र लगा कि ऋतुपर्ण के यहाँ बाहुक नामक जो सारथि है वह कदाचित् नल हो । भीम ने ऋतुपर्ण के यहाँ कहलाया कि कल हमारी कन्या का फिर से स्वयंवर होगा । उनके सारथि बाहुक (या नल) ने एक ही दिन में उन्हें विदर्भ पहुँचा दिया । वहाँ दमयंती ने नल को पहचाना और तीन वर्ष तक घोर कष्ट भोगने के उपरांत दंपति फिर मिले । उस समय तक कलि ने भी उनका पीछा छोड़ दिया था । इसके उपरांत ऋतुपर्ण ने नल से क्षमा माँगी । एक मास तक विदर्भ में रहने के उपरांत नल ने फिर पुष्कर के पास जाकर उससे जुआ खेला और फिर अपना राज्य जीत लिया । तब से दोनों फिर सुखपूर्वक रहने लगे । दमयंती का पातिव्रत आदर्श माना जाता है और घोर कष्ट भोगने के लिये नल दमयंती प्रसिद्ध हैं ।
- राम की सेना का एक बंदर जो विश्वकर्मा का पुत्र माना जाता है । विशेष—कहते हैं, इसी ने पत्थरों को पानी पर तैराकर रामचंद्र की सेना के लिये लंकाविजय के समय समुद्र पर पुल बाँधा था । पुराणानुसार यह ऋतुध्वज ऋषि के शाप के कारण घृताची के गर्भ से बंदर के रूप में उत्पन्न हुआ था ।
- एक दानव का नाम लो विप्रचित्ति का चौथा पुत्र था और सिंहिका के गर्भ से उत्पन्न हुआ था ।
- यदु के एक पुत्र का नाम ।
- एक नद का नाम ।
- प्राचीन काल में एक प्रकार का चमडे़ का मढा़ हुआ बाजा जो घोडे़ की पीठ पर रखकर युद्ध के समय बजाया जाता था ।
- डंडे के रूप में कुछ दूर तक गई हुई वस्तु जिसके भीतर का स्थान खाली हो । पोली लंबी चीज ।
- धातु, काठ या मिट्टी आदि का बना हुआ पोला गोल खंड । विशेष—यह कुछ लंबा होता है और एक स्थान से दूसरे स्थान तक पानी, हवा, धुआँ, गैस आदि के ले जाने के काम में आता है ।
- इसी प्रकार का इँट पत्थर आदि का बना हुआ वह मार्ग जो दूर तक चला गया हो और जिसमें से होकर गंदगी और मैला आदि बहता हो । पनाला ।
- पेड़ू के अंदर की वह नली जिसमें से होकर पेशाब नीचे उतरता है । नली ।
Description
नल और दमयन्ती की कथा भारत के महाकाव्य, महाभारत में आती है।
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