कर्म (karma) - Meaning in English
कर्म - Meaning in English
noun
- object(masc)+1deed(masc)employment(masc)path(masc)destiny(masc)bond(masc)karma(masc)act(masc)work(masc)Advertisement - Remove
Definitions and Meaning of कर्म in Hindi
कर्म NOUN
- वह जो किया जाय । क्रिया । कार्य । काम । करनी । करतूत ।
- व्याकरण में वह शब्द जिसके वाच्य पर कर्ता की क्रिया का प्रभाव पड़े । कर्ता की क्रिया या व्यापार द्वार साध्य जो अभीप्सिततम कार्य हो जैसे, राम ने रावण को मार । यहाँ राम के मारने का प्रभाव रावण में पाया गया, इससे वह कर्म हुआ । यह द्वितीय कारक माना जाता है जिसका विभक्तिचिह्न 'को' है । कभी कभी अधिकरण अर्थ में भी द्वितीया रूप का प्रयोग होता है । जैसे,— वह घर को गया था । पर ऐसा प्रयोग अकर्मक क्रियाओं में विशेषपर आना, जाना, फिरना, लौटना, फेंकना, आदि गत्यर्थक के ही साथ होता, है, जिनका संबंध देश स्थान और काल से होता है । संप्रदान कारक में भी कर्मकारक का चिह्न 'को' लगाया जाता है । जैसे,— 'उसको रूपया दो' (व्याकरण में कर्म दो प्रकार के होते हैं— मुख्य कर्म और गौण कर्म । )
- वैशेषिक के अनुसार छह पदार्थों में से एक जिसका लक्षण इस प्रकार लिखा है— जो एक द्रव्य में हो, गुण न हो और संयोग और विभाग में अनपेक्ष कारण हो । (कर्म यहाँ क्रिया का लगभग पर्याय शब्द है । 'व्यापार' भी उसे वैयाकरण कहते हैं । ) कर्म पाँच हैं—उत्क्षेपण (ऊपर फेंकना), अवक्षेपण (नीचे फेंकना), आकुंचन (सिकोड़ना), प्रसारण (फैलाना), और गमन (जाना, चलना) । गमन के पाँच भेद किए हैं— भ्रमण (घूमना), रेचना (खाली होना), स्यंदन (बाहना या सरकना), उर्धज्वलमन (ऊपर की ओर जलना), तिर्थग्गमन (तिरछा चलना) ।
- मीमांसा के अनुसार कर्म के दो प्रकार जो ये हैं—गुण या गौण कर्म और प्रधान या अर्थ कर्म । गुण (गौण) कर्म वह है जिससे द्रव्य (सामग्री) की उत्पत्ति या संस्कार हो, जैसे, — धान कूटना, यूप बनाना, घी तपाना आदि । गुअ कर्म का फल दृष्ट हैं, जैसे, धान कूटने से चावल निकलाता हैं, लकड़ी गढ़ने से यूप बनता है । गुण कर्म के भी चार भेद किए गए हैं—(क) उत्पत्ति (जैसे, लकड़ी के गढ़ने से यूप का तैयार होना । (ख) अप्रित (जैसे, गाय के दुहने से दूध की प्राप्ति), (ग) विकृत (धान कूटना, सोम का रस निचोड़ना, घी तपाना), (घ) संस्कृति ( चावल पछाड़ना, सोम का रस छानना) । प्रधान या अर्थकर्म वह है जिससे द्रव्य की उत्पत्ति या शुद्धि न हो, बल्कि उसका प्रयोग हो, जैसे, यज्ञ आदि । उसका फल अष्ट है, जैसे स्वर्ग की प्राप्ति इत्यादि । प्रधान या अर्थकर्म के तीन भेद हैं— नित्य, नैमित्तिक और काम्य । नित्य वह है जिससे न करने से पापा हो अर्थात् जिसका करना परम कर्तव्य हो, जैसे, संध्या अग्निहोत्र आदि । नैमित्तिक वह है जो किसी निमित्ति से किसी अवसर पर क्रिया जाय, जैसे, पौर्णमासपिंड़, पितृयज्ञ आदि । जो कर्म किसी विशेष फल की कामना से कायि जाया, वह वाक्य है, जैसे, पुत्रेष्टि, कारिरि आदि । मीमांसक लोग कर्म को प्रधान मानते हैं और वेदांती लोग ज्ञान को प्रधान मानकर उससे मुक्ति मानते हैं ।
- योगससूत्र की वृत्ति में कर्म के तीन भेद । भोज ने ये भेद किए हैं— (क) विहित, जिलके करने की शास्त्रों में आज्ञा है; (ख) निषिद्ध, जिनके करने का लिषेध है और (ग) मिश्र अर्थात् मिले जुले । जाति, आयु और भोग कर्म के विपाक या फल कहे जाते है ।
- जन्मभेद से कार्म के चार विभाग— संचित, प्रारब्ध, क्रियमाण और भावी ।
- जैन दर्शन के अनुसार कर्म पुदगल और जीव के अनादि संबंध से उत्पन्न होता हैं, इसी से जैन लोग इसे पौद्गलिक भी कहते हैं । इसके दो भेद हैं । (क) धाति जो मुक्ति का बाधक होंता है और (ख) अधाति जो मुक्ति का बाधक नहीं होता ।
- वह कार्यं या क्रिया जिसका करना कर्तव्य हो । जैसे,— ब्राह्मणों के षट्कर्म- यजन, याजन, अध्ययन, अध्यापन, दात्त, प्रतिग्रह ।
- कर्म का फल । भाग्य । प्रारब्ध । किस्मत । उसके भी दो भेद हैं— (क) प्रारब्ध कर्म जिसका फल मनुष्य भोग रहा है और (२) संचित कर्म जिसका फल भविष्यत् में मिलनेवाला हैं । जैसे,— (क) अपना कर्म भोग रहे हैं । (ख) कर्म में जो लिखा होगा, सो होगा ।
- मृतकसंस्कार । क्रिया कर्म ।
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Description
साधारण बोलचाल की भाषा में कर्म का अर्थ होता है 'क्रिया'। व्याकरण में क्रिया से निष्पाद्यमान फल के आश्रय को कर्म कहते हैं। "राम घर जाता है' इस उदाहरण में "घर" गमन क्रिया के फल का आश्रय होने के नाते "जाना क्रिया' का कर्म है। लेकिन दर्शन की दृष्टि से कर्म का अलग ही अर्थ है।
Karma is a concept of action, work, or deed, and its effect or consequences. In Indian religions, the term more specifically refers to a principle of cause and effect, often descriptively called the principle of karma, wherein individuals' intent and actions (cause) influence their future (effect): Good intent and good deeds contribute to good karma and happier rebirths, while bad intent and bad deeds contribute to bad karma and bad rebirths. In some scriptures, however, there is no link between rebirth and karma. Karma is often misunderstood as fate, destiny, or predetermination.
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What is कर्म meaning in English?
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